जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश

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जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश, बहाल -ए-हिज्र बेचारा दिल है!
फिल्म गुलामी (1985) के इस गाने का आज तक मतलब समझ ना आने के बावजूद भी सुन रहे हो ना...


तो #budget2021 से क्या तकलीफ है?
~ निर्मला सीतारमण

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